ट्रांसफार्मर एक ऐसा Electronics डिवाइस है जो क्वायल और Iron Core से बना होता है। और इसका मेन काम वोल्टेज को Coil Binding के According कम अथवा ज्यादा करके Out करना होता है।
Real Shape Of Transformer :-

Denoting Latter: — T, TXFR
Circuit Symbol Of Transformer :–

Transformer के Output, ट्रांसफार्मर के Coil Binding पर Depend करता है।
ट्रांसफार्मर के तीन Part होते है, जिसमे एक Metallic Core और दो Winding होती है। जो की बहुत ही अच्छे सुचालक धातु जैसे Copper, की बनी होती है।
ट्रांसफार्मर के Coil वाइंडिंग को प्राइमरी वाइंडिंग और सेकेंडरी वाइंडिंग के नाम से जाना जाता है।
ट्रांसफार्मर का प्राइमरी वाइंडिंग AC Input होता है, जबकि सेकेंडरी वाइंडिंग AC Output होता है।
ट्रांसफार्मर के Primary Coil मे जब AC current दि जाती है, तो Core में चुम्बकीय क्षेत्र पैदा हो
जाता है, जिसका मान बदलता रहता है।
Secondary Coil भी इसी Core से लिपटी होती है। जिसके कारण Secondary Coil पर Magnetic PulseFlow होकर अपने मैग्नेटिक Field, नार्थ साउथ पोल को चेंज करता रहता है। या परिवर्तन होता रहता है। जिससे Electromagnetic Induction Principles से Magnetic Pulse Current (AC) Out होने लगती है।
इस Reaction से Electromagnetic Induction से Secondary Coil में उसी HZ का Alternating Voltage पैसा हो जाता है जितनी Frequency (HZ) का हमने Primary Winding में Voltage लगाया था। Winding Transformer में बहुत ही अहम Role निभाती है।
Core Of Transformer
ट्रांसफार्मर में, Core बीच में होती है । यह Laminated Steel Plates की बनी होती है। जो पट्टी Types की होती है। इन सभी पत्तियों के बीच Minimum Air Gap होता है। ये भवंर धाराओं को कम करती है। Core के चारों ओर winding लिपटी होती है।

Winding Of Transformer
Winding जो तारों के फेरे होते है उसे Winding कहते है। ट्रांसफार्मर Type के According इसकी Winding अलग-अलग होती है। जैसे, Single phase ट्रांसफार्मर में दो Winding होती है एक Primary Winding और दूसरी Secondary Winding होती है। और यदि ट्रांसफार्मर Three Phase है, तो उसमे तीन Primary Winding, और तीन Secondary winding होती है ये सभी Insulated layer से एक दुसरे से Contact में रहती है।
Testing Of Transformer
ट्रांसफार्मर को मल्टीमीटर के कंटिन्यूटी रेंज से चेक किया जा सकता है।
- Primarily To Primarily :– Show Beep Or Beep With Value Of Show Only Value.
- Secondary To Secondary :– Show Beep Or Beep With Value Or Show Only Value.
- Primarily To Secondary :– Show Both Side No Beep No value.
- Secondary To Primarily :– Show Both Side No Beep No value.
Note : – ट्रांसफार्मर को मल्टीमीटर के कंटिन्यूटी रेंज से चेक करने पर, यदि मल्टीमीटर में ट्रांसफार्मर के प्राइमरी टू प्राइमरी और सेकेंडरी टू सेकेंडरी बीपी अथवा बीप के साथ वैल्यू शो करें लेकिन प्राइमरी टू सेकेंडरी या सेकेंडरी टू प्राइमरी कोई भी वैल्यू या बीप ना आए तो ट्रांसफार्मर ओके होता है।
Type of Transformer / ट्रांसफार्मर के प्रकार।

ट्रांसफार्मर के Type Work and Use के according अलग – अलग है, जैसे, वोल्टेज लेवल के आधार पर ट्रांसफार्मर के Type और Core के आधार पर ट्रांसफार्मर के Type, जगह के आधार पर ट्रांसफार्मर के Type, तथा उपयोग के आधार पर ट्रांसफार्मर के Type, जिनमे पॉवर ट्रांसफार्मर, मेज़रमेंट ट्रांसफार्मर, प्रोटेक्शन ट्रांसफार्मर तथा डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर है, स्टेप अप और स्टेप डाउन इत्यादि है।
1) Step Down Transformer :–
वह Transformer जो ज्यादा वोल्टेज लेकर कम वोल्टेज आउट करें उसे स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर कहते हैं। स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर का यूज़ लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में होता है ।
सबसे ज्यादा स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर का यूज़ रेडियो म्यूजिक सिस्टम ब्लैक एंड व्हाइट टीवी इत्यादि
डिवाइस में किया जाता है। .

Symbol Of Step Down Transformer :–

हमारा वर्तमान समय का इलेक्ट्रॉनिक्स Step Down Transformer पर बहुत अधिक निर्भर है। स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर में Primary कॉइल वाइंडिंग ज्यादा और सेकेंडरी Coil वाइंडिंग कम होती हैं।.हमारा स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर में, Primary कॉइल वाइंडिंग ज्यादा और सेकेंडरी Coil वाइंडिंग कम होती हैं।.
2) Step-Up Transformer :–
वह ट्रांसफार्मर जो, कम वोल्टेज लेकर ज्यादा वोल्टेज आउट करें उसे Step Up ट्रांसफार्मर करते हैं। स्टेप Up ट्रांसफॉर्मर में, Primary कॉइल वाइंडिंग कम और सेकेंडरी Coil वाइंडिंग ज्यादा होती हैं।
इस ट्रांसफार्मर का यूज़ वोल्टेज को बढ़ाने के लिए किया जाता है। Step Up ट्रांसफार्मर में सेकंडरी की तुलना में प्राइमरी वाइंडिंग में पतला तार और ज्यादा टला रहता है। और एम्पेयर भी प्राइमरी की तुलना में सेकेंडरी में ज्यादा रहता है।

सिंगल फेज ट्रांसफॉर्मर :–
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में एक ही कोर में इनर कोइल और आउटर कोइल रहती है। जिसमे एक प्राइमरी के रूप में और एक सेकेंडरी के रूप में काम करती है। इस प्रकार के ट्रांसफार्लर का उपयोग ज्यादातर वोल्टेज और करंट को कम कर, स्टेप डाउन करने में किया जाता है।

Ex :- 12V AC, 12V-0-12V
Three Phase Transformer :-

इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में थ्री फेज प्राइमरी और थ्री फेज सेकेंडरी वाइंडिंग होती है। इस प्रकार के ट्रांसफार्मर पावर ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन में उपयोग होता है।
Note:– अपने उपयोग के आधार पर, बनावट के आधार पर, फेज के आधार पर, कूलिंग के आधार पर,वोल्टेज के आधार पर, और वाइंडिंग के आधार पर हमारी जरूरियात के मुताबित Transformer अलग-अलग Type के उपलब्ध है।
Auto Transformer :-

Normal ट्रांसफार्मर मैं आमतौर पे दो बाइंडिंग रहता है। एक प्राइमरी और एक सेकेंडरी, पर इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में एक ही वाइंडिंग रहता है, जो प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों का काम करता है। वाइंडिंग का कुछ हिस्सा सैकेंडरी का काम करता है। इसीलिए दो वाइंडिंग के बीच मे कोई गैप या आइसोलेशन नहीं रहता है।
Economically देखे तो इसमें मैग्नेटिक फ्लक्स का लीकेज कम रहता है इसीलिए लोसिस कम होता है। एक
ही वाइंडिंग से प्राइमरी और सेकंडरी दोनों काम होता है। इसीलिए कॉपर का उपयोग कम होता है। डबल वाइंडिंग की तुलना में इसका कार्यक्षमता ज्यादा है।
इसमें स्टेप अप, स्टेप डाउन, अलग – अलग स्टेप में और वेरिएबल टाइप के ट्रांसफार्मर होते है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर लेबोरटरी, स्टेबिलाइजर, And LED Bulb में भी होता है।
Core Type Transformer : –
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में प्राइमरी और सेकेंडरी वाइंडिंग अलग अलग होते हे। आउट साइड कोर पे वाइंडिंग की जाती है। इसमें L(एल) Type, U (यु) Type और 1 (आई) टाइप के जैसे अलग – अलग प्रकार के होते है।
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर का use हाई वोल्टेज एप्लीकेशन में होती है, जैसे पावर ट्रांसफार्मर, डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर में उपयोग किया जाता है।

Shell Type Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में बिच के Limb पे प्राइमरी And सेकेंडरी वाइंडिंग की जाती है। आउट साइड से E टाइप के कोर से उसे ढका जाता है।
इसमें डबल मैग्नेटिक सर्किट होने की कारण इसे शैल टाइप ट्रांसफार्मर कहा जाता है। कोर टाइप ट्रांसफार्मर का Use लॉ वोल्टेज में किया जाता है।

ONAN Transformer :-
ONAN ट्रांसफार्मर का मतलब है Oil Natural Air Natural ट्रांसफार्मर, इस ट्रांसफार्मर का Use बहुत ही हाई वोल्टेज के लिए किया जाता है। इस ट्रांसफार्मर को कूलिंग करने के लिए ओयल का Use किया जाता है।
Double Winding Transformer :-
इस प्रकार के ट्रांसफार्मर में दो वाइंडिंग रहता है। एक प्राइम एंड एक सेकेंडरी जो इलेक्ट्रिकली Isolate होता है। पर मैग्नेटिकली एक दूसरे से कनेक्ट रहता है। Requirement के हिसाब से कैपेसिटी के अनुसार तैयार करके उसे उपयोग कर सकते है।

Multi Winding Transformer :- वो Transformer जिसमें प्राइमरी में एक और सेकेंडरी में एक से ज्यादा coil हो तो, इस प्रकार के ट्रांसफार्मर को मल्टी Coil ट्रांसफार्मर भी कहा जाता है। उसे मल्टी बाइंडिंग ट्रांसफार्मर कहते है।
ये सिंगल फेज और थ्री फेज भी हो सकते है, स्टेप अप और डाउन भी हो सकते है। उसका ऑपरेशन सिद्धांत वो ही हे जो नॉर्मल ट्रांसफार्मर का रहता है।
Flyback Transformer :–
यह ट्रांसफार्मर Low Binding ट्रांसफार्मर है। जिसका. डीसी करंट के लिए किया जाता है। यह ट्रांसफार्मर स्विचिंग के प्रिंसिपल पर काम करता है। इसका सबसे ज्यादा यूज कलर टीवी SMPS इत्यादि, आज के आधुनिक Electronics डिवाइसो में किया जाता है।
इसे DT ट्रांसफार्मर के नाम से भी जाना जाता है।
Note:– ट्रांसफार्मर तो और भी होते हैं लेकिन हमारे Laptop और Computer Motherboard इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के लिए इतना ही काफी है।
