Transistor क्या होता है, Transistor कितने प्रकार के होते हैं?

ट्रांजिस्टर एक ऐसी Semiconductor Electronics Component है, जो मल्टीपल टास्क कर सकता है जैसे स्विचिंग, एमप्लीफिकेशन, मॉडुलेशन, रेगुलेटिंग इत्यादि। यह Electrons और electricity के Movement को Control कर सकता है।

यह Electricity को Start Stop कर सकता है। और यह Current के Amount को भी Control कर सकता है। इसी कारण Transistor Electronic Wave पैदा कर सकता है। यह AC को DC में भी कन्वर्ट कर सकता है।

Real Shape of Transistor :–

Denoting Latter : – Q, Tr.

  • Transistor के अंदर डायोड का ही मिश्रण होता हैं।
  • ट्रांजिस्टर में मेन रूप से 3 Pin होते हैं और इस Pln को बेस (B), कलेक्टर (C), और एमिटर (E) के नाम से जाना जाता है।

Circuit Symbol Of Transistor :–

Combination के According Transistor का दो Type होता है !

  • NPN Transistor
  • PNP Transistor

1) NPN Transistor: — वह Transistor जिसमे Diode का डायरेक्शन Anode to Anode हो वह NPN

Transistor होता है।

इस तरह के ट्रांजिस्टर में P प्रकार के सेमीकंडक्टर के दोनों तरफ N प्रकार के सेमीकंडक्टर को

जोड़ कर बनाया जाता हैं। इस तरह यदि किसी ट्रांजिस्टर का P सिरा बिच में हैं तो वह NPN

Transistor कहलाता हैं।

2) PNP Transistor: — वह Transistor जिसमे Diode का डायरेक्शन Cathode to Cathode हो वह PNP Transistor होता है।

इस तरह के ट्रांजिस्टर में N प्रकार के सेमीकंडक्टर के दोनों तरफ P प्रकार के सेमीकंडक्टर को जोड़ कर बनाया जाता हैं। इस तरह यदि किसी ट्रांजिस्टर का N सिरा बिच में हैं तो वह PNP Transistor कहलाता हैं।

हमारे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में सबसे ज्यादा NPN Transistor का यूज किया जाता है। और इसके Base सिग्नल रिक्वायरमेंट के अकॉर्डिंग हमें Transistor का NPN और PNP की जानकारी होनी चाहिए, साथ में इसके पिन डिटेल जिसका मतलब है कि इसका Base, Collector And Emitter की भी जानकारी होनी चाहिए।

How To Find NPN And PNP Transistor ?

डिजिटल मल्टीमीटर के कंटीन्यूटी रेंज से इसे चेक करना काफी आसान होता है कि यह NPN है या PNP यदि, कंटिन्यूटी रेंज से इसके पिन को बारी-बारी चेक करने पर यदि कॉमन पिन Red Probe और Other 2 Pin पर Black Probe से अलग-अलग वैल्यू झाला होतो ट्रांजिस्टर NPN होता है।

वही कंटिन्यूटी रेंज से ही यदि कॉमन पिन Black Probe और Other 2 Pin पर Red Probe से अलग- •अलग वैल्यू आता हो तो ट्रांजिस्टर PNP होता है।

ट्रांजिस्टर उपयोग आजकल बहुत बड़े पैमाने पर लिया जाता हैं। यदि ट्रांजिस्टर नहीं होता तो संभवतः आज हम सभी कंप्यूटर या मोबाइल के अंदर इतनी ज्यादा स्पीड नहीं प्राप्त कर पाते जितनी स्पीड आज के समय में हमें मिल रही हैं। कहने का तात्पर्य यह है की आज के समय में Transistor का उपयोग इतना ज्यादा होने लगा हैं की हम इसके बिना किसी इलेक्ट्रानिक सर्किट को बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते।

ट्रांजिस्टर के सिंबल में दिखने वाला तीर का निशान इसके करंट फ्लो डायरेक्शन को रिप्रेजेंट (Show) करता है। यदि NPN Transistor में करंट कलेक्टर पर दी जाए, तो इसका Put एमिटर पर आता है। लेकिन इसका Out Put इसके Base पर मिलने वाले Signal पे डिपेंड करता है।

यदि Transistor PNP हो तो, करंट एमिटर पर दी जाती है, तो इसका Quent कलेक्टर पर आता है। और इसका भी Out Put इसके Base पर मिलने वाले Signal पे डिपेंड करता है।

ट्रांजिस्टर का पिन एक नल के जैसा काम करता है, जहां इसका अर्थ, आउटपुट सप्लाई इसके कंट्रोलर पर, मतलब बेस पर डिपेंड करता है।

NPN Transistor में Out Put एमिटर से लेने के लिए Base पर पॉजिटिव Signal दी जाती है, जबकि PNP Transistor में कलेक्टर से आउटपुट लेने के लिए Base पर नेगेटिव Signal दी जाती है।

Transistor Basics (ट्रांजिस्टर मूल बातें) :–

A Transistor is a Three-Terminal Device.

  • Base:– This is Responsible For Activating the transistor.
  • Collector:- This is The Positive Lead or Input/ Out Put.
  • Emitter: This is the Negative Lead. or Input/ Out Put.

Q) How to find Base Collector And Emitter?

यदि आप मल्टीमीटर से कॉमन Pin पहचान लेते हैं तो ट्रांजिस्टर का कॉमन Pin ही ट्रांजिस्टर का बेस (Base ) होता है, और जस्ट Base के राइट साइड का पेन कलेक्टर(Collector) होता है, और जो पिन बच जाए वह Pin Emitter होता है।

Low Frequency Transistor (To 92 Package) में Tab type तुलाना में बैस, कलेक्टर और एमिटर जस्ट उल्टा होता है।

Impotent Work of Transistor

हमारे electronics circuit में ट्रांजिस्टर के बहुत सारे काम है उसमे कुछ इम्पोटेंट work को आप जाने।

1. Amplification :– एम्पलीफिकेशन (Amplification) एक ऐसा प्रोसेस है जिसके हेल्प से किसी

भी कमजोर सिग्नल को बूस्ट करने का काम किया जा सकता है। ऑडियो एम्पलीफायर इसका सबसे बेस्ट एग्म्पल है।

2. Modulation :– Modulation ( मॉड्यूलेशन ) Transistor का एक Process है। जिसका Use Data ट्रांसमिशन (Transmission) Source के लिए होता है। या हम कह सकते है की जब किसी Voice सिग्नल को Transistor के Help से कोई Other सिग्नल या Wave Signal में कन्वर्ट किया जाये तो वह प्रोसेस Modulation (मॉड्यूलेशन) कहलाता है। मोबाइल कॉल इसका सबसे अच्छा example है।

3. Demodulation:– Demodulation, Transistor का एक ऐसा Process है, जिसके हेल्प से Modulated Signal को ओरिजनल फॉर्म में कन्वर्ट करना होता है। और इसका भी सबसे बेस्ट एक्साम्प्ल मोबाइल कॉल पे आने वाला रिसीव Voice सिग्नल है।

4. Switching :– स्विचिं एक ऐसा प्रोसेस है जिसमे Transistor के हेल्प से किसी भी DC करंट को AC करंट में कन्वर्ट किया जा सकता है। और इसका सब बेस्ट एजम्पल UPS और इन्वर्टर है। 1 सेकंड में 15k से 18k time तक का स्विचिंग कर सकता है।

5. Regulation :– जब किसी ट्रांजिस्टर के हेल्प से किसी DC वोल्टेज को रिक्वायरमेंट के अकॉर्डिंग कंट्रोल करके अथवा कम या ज्यादा करके ट्रांसफर किया जाए तो वह प्रोसेस रेगुलेटिंग कहलाता है।

Q) Difference Between NPN And PNP Transistor ? NPN और PNP ट्रांजिस्टर के बीच अंतर ?

NPN ट्रांजिस्टर में दो N प्रकार के सेमीकंडक्टर लगे होते हैं जिनके बीच एक पतली सी P टाइप सेमीकंडक्टर लगा होता है और यह दोनों N टाइप सेमीकंडक्टर को एक दूसरे से विभाजित करता है। और अगर बात करें PNP ट्रांजिस्टर की तो इसमें दो P टाइप सेमीकंडक्टर लगे होने बीच में एक पतली सी N टाइप सेमीकंडक्टर लगा होता है और यह दोनों P टाइप स एक दूसरे से अलग करता है।

NPN और PNP के चित्र एक-दूसरे के एक समान होते हैं। दोनों ही ट्रांजिस्टर में 3 पिन होती है बेस, कलेक्टर और एमिटर। इन दोनों में अंतर केवल तीर के निशान का होता है जो कि एमिटर को दर्शाता है। NPN ट्रांजिस्टर में तीर के निशान का चिन्ह बाहर की तरफ होता है और अगर PNP की बात करें तो यह निशान अंदर की ओर होता है।

NPN ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉन की संख्या काफी अधिक होती है तो अगर बात करें PNP की तो इसमें आपको होल्स की संख्या ज्यादा मिलेगी।

NPN ट्रांजिस्टर में करंट कलेक्टर से एमिटर की तरह प्रवाहित होता है और PNP ट्रांजिस्टर में यही करंट एमिटर से कलेक्टर की ओर जाता है।

NPN ट्रांजिस्टर को ऑन करने पर बेस पॉजिटिव सप्लाई देता है और PNP ट्रांजिस्टर को ऑन करने पर बेस नेगेटिव सप्लाई देना शुरू कर देता है।

NPN ट्रांजिस्टर में PNP ट्रांजिस्टर की अपेक्षा स्विचिंग टाइम काफी अधिक तेज होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि NPN ट्रांजिस्टर में इलेक्ट्रॉन की संख्या PNP ट्रांजिस्टर से अधिक होती है।

How to check a Transistor with the help of a multimeter? (मल्टीमीटर से ट्रांजिस्टर की टेस्टिंग करना)

मल्टीमीटर को सबसे पहले कंटीन्यूटी रेंज पे सेट करना है। उसके बाद मल्टीमीटर के कंटीन्यूटी रेंज से निम्न Value आना चहिये।

  • Base To Collector :– Show One Side value.
  • Base To Emitter :– Show One Side value.
  • Collector To Emitter :– Show Both Side No Beep No value.

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